मैं भी एक घॊड़ा हूं िबलकुल अापकी तरह
बचपन से ही मुझे िज़ंदगी की राह पर दौड़ना िसखा िदया गया था
तबसॆ आज तक बहुत लम्बा सफर तय कर चुका हूँ
बहुत से मुकाम हािसल िकयॆ..
बहुत से घोड़ों को पीछे भी छोड़ा..
इसी दौड़ में तमाम उम्र काट दी
हाँ एक बार रुक कर कुछ देर िज़ंदगी को िजया भी था मैने..
मगर रुकना भी क्या ज़माने को रास आया है कभी
कस दी गयी लगाम..
और घॊड़ा िफर सॆ दौड़ पड़ा..
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2 comments:
Joshi bhai.....
yeh wala behtareen hai.....
poori duniya ki sachhai 6 lines mein
thank u hai ji :)
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